बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

एक और महाभारत

तेलुगु मूल : कालोजी नारायण राव 
अनुवाद : गुर्रमकोंडा नीरजा 

कन्याकुमारी का गृहप्रवेश ही
बुनियाद है कश्मीर की
समुद्र की बाष्प से
आरंभ होता है गंगा का जीवन.

साड़ी के आँचल में आग लगे तो
आपादमस्तक हाहाकार
जूड़े को पकड़कर खींचने से
पाँव अंगारों पर पड़ने की पीड़ा,
अत्याचारी के दृष्टि संकेत पर
शीलवती की आँखों में
शिव के त्रिनेत्र की ज्वाला

सैरंध्री जब जब अपमानित होगी
तब तब कीचक वध निश्चित है
द्रौपदी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने पर
दुर्योधन की जंघा का टूटना निश्चित है
दुःशासन के वक्ष का चिरना निश्चित है

अनेकों बार कीचक का वध होने पर भी
दुःशासन का वक्ष चीरे जाने पर भी
दुर्योधन की जंघा टूटने पर भी
कर्ण का रथचक्र धरती में धँसने पर भी
कृष्ण के दूत बन जाने पर भी
एक और महाभारत निश्चित है

फिर से, फिर फिर से, कीचकों को सुदेष्णा का प्रोत्साहन
दुःशासनों को दुर्योधनों का आदेश
दुर्योधनों की दुराशा और दुरभिमान
कर्णों की प्रतिशोध की भावना
फिर से कृष्णों का दूत कर्म अनिवार्य है
और एक महाभारत निश्चित है.

फिर से, फिर फिर से, भीष्म-द्रोण का मौनव्रत
धृतराष्ट्र के अंधे प्रेम का व्यामोह
शकुनि मामा के पासे का गोरखधंधा
फिर से द्रौपदी का अपमान
फिर से महाभारत.

फिर से, फिर फिर से
सैंधवों को वरदान
आचार्यों का चक्रव्यूह
योद्धाओं का षड्यंत्र
फिर से अभिमन्यु की नृशंस हत्या
फिर से महाभारत

फिर से, फिर फिर से, कश्मीर पर दुराक्रमण
यू.एन.ओ. का समझौता
सीज़ फायर का समझौता
समझौतों का उल्लंघन
भारत के धर्मराजों की सहनशक्ति
माओ त्से तुंग का षड्यंत्र
अयूब दुर्योधन दुराशा दुरभिमान
भुट्टो दुःशासन का दुरावेश
फिर से दुर्योधनों की जंघा का टूटना निश्चित है
दुःशासनों का वक्ष चीरा जाना निश्चित है
फिर से कुरुक्षेत्र निश्चित है
एक और महाभारत निश्चित है.

* मेरी आवाज (पद्मविभूषण डॉ. कालोजी नारायण राव की चयनित कविताएँ)/ 2013/ आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद/ पृ. 117

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